वेदों में पाषाण पूजा,पशुबलि ,मूर्ति पूजा ,अवतारवाद,मांसभक्षण है क्या

🌸🌹ओ३म्🌹🌸
सत्यार्थ प्रकाश पढ़ो जीवन बदलो


प्रश्न) तो हम कौन हैं? 


(उत्तर) तुम पोप हो। 
(प्रश्न) पोप किस को कहते हैं? 
(उत्तर) उस की सूचना रूमन् भाषा में तो बड़ा और पिता का नाम पोप है परन्तु अब छल कपट से दूसरे को ठग कर अपना प्रयोजन साधने वाले को पोप कहते हैं। 
(प्रश्न) हम तो ब्राह्मण और साधु हैं क्योंकि हमारा पिता ब्राह्मण और माता ब्राह्मणी तथा हम अमुक साधु के चेले हैं। 
(उत्तर) यह सत्य है परन्तु सुनो भाई! माँ बाप ब्राह्मण होने से और किसी साधु के शिष्य होने पर ब्राह्मण वा साधु नहीं हो सकते किन्तु ब्राह्मण और साधु अपने उत्तम गुण, कर्म, स्वभाव से होते हैं जो कि परोपकारी हों। सुना है कि जैसे रूम के 'पोप' अपने चेलों को कहते थे कि तुम अपने पाप हमारे सामने कहोगे तो हम क्षमा कर देंगे। विना हमारी सेवा और आज्ञा के कोई भी स्वर्ग में नहीं जा सकता। जो तुम स्वर्ग में जाना चाहो तो हमारे पास जितने रुपये जमा करोगे उतने ही की सामग्री स्वर्ग में तुम को मिलेगी। ऐसा सुन कर जब कोई आंख के अन्धे और गांठ के पूरे स्वर्ग में जाने की इच्छा करके 'पोप जी' को यथेष्ट रुपया देता था तब वह 'पोप जी' ईसा और मरियम की मूर्त्ति के सामने खड़ा होकर इस प्रकार की हुण्डी लिखकर देता था-'हे खुदावन्द ईसामसी! अमुक मनुष्य ने तेरे नाम पर लाख रुपये स्वर्ग में आने के लिये हमारे पास जमा कर दिये हैं। जब वह स्वर्ग में आवे तब तू अपने पिता के स्वर्ग के राज्य में पच्चीस सहस्र रुपयों में बागबगीचा और मकानात, पच्चीस सहस्र में सवारी शिकारी और नौकर चाकर, पच्चीस सहस्र रुपयों में खाना पीना कपड़ा लत्ता और पच्चीस सहस्र रुपये इस के इष्ट मित्र भाई बन्धु आदि के जियाफ़त के वास्ते दिला देना।' फिर उस हुण्डी के नीचे पोप जी अपनी सही करके हुण्डी उसके हाथ में देकर कह देते थे कि 'जब तू मरे तब इस हुण्डी को कबर में अपने सिराने धर लेने के लिए अपने कुटुम्ब को कह रखना। फिर तुझे ले जाने के लिये फरिश्ते आवेंगे तब तुझे और तेरी हुण्डी को स्वर्ग में ले जा कर लिखे प्रमाणे सब चीजें तुझ को दिला देंगे।'
अब देखिये जानो स्वर्ग का ठेका पोप जी ने ही ले लिया हो। जब तक यूरोप देश में मूर्खता थी तभी तक वहां पोप जी की लीला चलती थी परन्तु अब विद्या के होने से पोप जी की झूठी लीला बहुत नहीं चलती किन्तु निर्मूल भी नहीं हुई। 
वैसे ही आर्यावर्त्त देश में भी जानो पोप जी ने लाखों अवतार लेकर लीला फैलाई हो। अर्थात् राजा और प्रजा को विद्या न पढ़ने देना, अच्छे पुरुषों का सङ्ग न होने देना, रात दिन बहकाने के सिवाय दूसरा कुछ भी काम नहीं करना है। परन्तु यह बात ध्यान में रखना कि जो-जो छलकपटादि कुत्सित व्यवहार करते हैं वे ही पोप कहाते हैं। जो कोई उन में भी धार्मिक विद्वान् परोपकारी हैं वे सच्चे ब्राह्मण और साधु हैं।


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