(वेदवाणी) परमात्मा आप सब ब्रम्हाण्ड की ऊर्जा व प्रकाश

वेदवाणी




श्रीणन्नुप स्थाद्दिवं भुरण्यु स्थातुश्चरथमक्तून्व्यूर्णोत्।
परि यदेषामेको विश्वेषां भुवद्देवो देवानां महित्वा॥ ऋग्वेद १-६८-१।।
       हे परमेश्वर, आप समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा और प्रकाश हैं। आप सभी स्थावर-जंगम और चराचर जगत को धारण किए हुए हो और आप ही सभी रूपों में व्याप्त हो। दिन रात का प्रकाश आप ही हो। सभी विद्वान मनुष्य आपके आशीर्वाद से ही दिव्यगुणयुक्त होते हैं।


 *काव्य भाव गीत*



हे प्रभु आप जगत की ऊर्जा,
सकल विश्व की आत्मा हो।
चर और अचर के धारण कर्त्ता,
विश्वेश्वर परमात्मा हो।
सब रूपों में तुम्हीं समाये,
हर रंग तुझसे ख़िला हुआ।
दिवस रात सबका प्रकाश तू,
देवजनों को मिला हुआ।
करो कृपा हम पर भी स्वामी,
मिलें अविद्या कर खात्मा।
हे प्रभु-----
जीवन करो हमारा सुरभित,
हम भी तुझको ध्यान में लाएं।
मात पिता तुम ही हम सबके,
नित्यप्रति तुमको शीश झुकाएं।
सारे जग के विद्या दात्री,
आशीष विमल आराध्य माँ।।
हे प्रभु----
-आचार्या विमलेश बंसल आर्या
🙏🙏🙏🙏🙏


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