वासना टालने का साधन
वासना टालने का साधन
यह संसार सागर है-और विषयों का जल इस में चारों ओर अथाह बह रहा हैवासनाओं की तरंगें (लहरें) एक के बाद दूसरी तीसरी उठ उठ कर आ और जा रही हैं समुद्र में नहानेवाले बुद्धिमान् जब भी लहर आती है-उसमें डुबकी नहीं लगाते, अपितु कुदकर ऊंचे हो जाते हैं। लहर चली जाती है, उनको नहीं छूती, नाहीं बहा ले जा सकती है। वैसे ही विद्वान् बुद्धिमान् (मनुष्य) जब ही वासना की लहर मन में उठे उसके साथ वह बह नहीं जाता। अपितु अपने श्वास को ऊपर चढ़ा लेता है, तथा प्राणायाम के द्वारा ऊपर हो जाता है । वासना चली जाती है और उसका कुछ स्पर्श नहीं करती, न उसे बहाती, न डबोती है।