उसने कुछ ऐसा किया।
उसने चिंगारियों को इशारा किया।
उसने चिंगारियों को इशारा किया।
आग को दूर से फिर निहारा किया।।
क्रोध ज्वाला चली लीलने जिंदगी..
कौम का गर्दिशों में सितारा किया।
लाठियां गोलियां पत्थरों का मियां..
ठंड में किस तरह गर्म पारा किया।
जो विरोधी हुए थे सडक पर जमा..
नाम उनके ही ये दोष सारा किया।
शक्तियां जीत जाती सदा बाजियां..
आम इंसान हर वक्त हारा किया।
कोई मुंशी बताये उसी का हमें..
कितने मासूम को बेसहारा किया।
पूछ आवाम अब ये रही 'रोज' है..
खून कैसे अमन का गंवारा किया।