उपहास
जिस थाली में खाते हो तुम,
उसमें ही करते हो छेद ।
अजब रीत है यह तुम सबकी,
समझ गये हम इसका भेद ।।
बहकाती है दुनिया तुमको,
तुम करने लगते बकवास ।
थू - थू करते सज्जन तुम पर,
देखो करते सब उपहास ।।