तुम्हारी पूजा अनूठी
*तुम्हारी पूजा बड़ी अनूठी है*
वृक्षों के फूल तोड़कर मंदिर की मूर्तियों पर जा कर चढ़ा आते हो... इस झूठ को तुम पूजा कहते हो।
फूल जब तक पोधों पर लगे थे, यह परमात्मा के चरणों में ही चढ़े थे।
इन जिंदा फूलों को तुमने तोड डाला, और अपनी ही बनायी हुईं पत्थर की मूर्तियों पर चढा आये।
परमात्मा की बनाई कृति को तोड़ कर, मार कर अपनी बनाई कृति पर चढ़ाने को पूजा कहते हो?
अपने भीतर के विवेक को , ध्यान को जगाओ🙏🏻
आँख बंद करके कुछ देर ईश्वर का स्मरण करे।
अष्टांग योग करे🙏🏻🙏🏻🙏🏻