तनिक विचारो
तनिक विचारो
रावण को तपस्या का अहंकार था।
हमारा अहंकार ही तपस्या है।।
राम को गुणों का अहंकार नहीं है।
हमारे अहंकार में गुण नहीं है।।
उर्मिला के मौन में कर्तव्य है।
हम कर्तव्य के प्रति मौन है।।
केवट की शंका में भक्ति है।
हमारी भक्ति में शंका है।।
जटायु की लड़ाई में धर्म है।
हमारे धर्म में लड़ाई है।।
शबरी के झूठन में प्रेम है।
हमारे प्रेम में झूठन है।।
हनुमान की लघुता में महत्ता है।
हमारी महत्ता में लघुता है।।
श्रवण के कष्ट में सेवा है।
हमारी सेवा में कष्ट है।।