स्वाश्रित-पराश्रित में अन्तर
स्वाश्रित-पराश्रित में अन्तर
३. बड़े नगरों में सिपाही चौराहे पर खड़ा रहता है। परन्तु वह साइकिल, मोटर गाड़ी, टांगे को रोकता है मोटर टांगेवाले बिना उसके हाथ के संकेत किये आगे नहीं बढ़ सकते। परन्तु जो पैदल है, उसे पूछने की आवश्यकता ही नहीं । न सिपाही उसे कभी रोकता है अर्थात् जो अपने पैरों पर खड़ा हुआ है-अपने पैरों, अपर सहारे से चलता है-स्वतन्त्र है-उसे कोई रुकावार नहीं। पर जो दूसरों के आश्रय हैं-वे मोहताज हैं, दास हैं-उन्हें सिपाही भी रोक सकता है।