स्त्री अन्न-धन की शोधक है

स्त्री अन्न-धन की शोधक है



      पुरुष जो घर में अन्न लाता है उसे स्त्री ही शुद्ध करती है जैसे स्त्री अन्न को शुद्ध करती है ऐसे ही पति की धन-कमाई को भी वही शुद्ध-पवित्र करती है । पति की कमाई को अन्न के द्वारा शुद्ध भावनाओं से पकाकर आतिथ्य (साधु-अभ्यागत-दीन-दुःखी की सेवा करने से) शुद्ध कर देती है। स्त्री शोधक है, पवित्र करनेवाली है। वह स्त्री, स्त्री नहीं जो अपने पति की कमाई का शुद्ध नहीं कर सकती।


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