स्थूल तथा सूक्ष्म दोनों ध्यान रखें
स्थूल तथा सूक्ष्म दोनों ध्यान रखें
सदा स्थूल सूक्ष्म के आश्रित रहता है। स्थूल स्वत्व (सम्पत्ति) है और सूक्ष्म उसका स्वामी। जो स्थूल को अधिक ध्यान से बनाएंगे सूक्ष्म में उतना ध्यान कम जाएगा एवं जो केवल सूक्ष्म का ध्यान करेंगे-उनकी स्थूल सम्पत्ति उतनी निर्बल हो जाएगी। अतः दोनों को परस्पराश्रित साधन-साध्य समझकर आचरण करना चाहिये । स्थूल में नियमितता सूक्ष्म के लिये लाभकारी है । बाह्य को या स्थूल को, अन्दर के या सूक्ष्म के लिए तैयार करना चाहिए