सिर सोहत मंजुल मोर पखा

सिर सोहत मंजुल मोर पखा
                      बरु बेनि महा छवि छाजत है |
दधि माखन लोल कपोल भरें
                       लख अंग अनंगहु लाजत है ||
बड़रीं अँखियाँ बड़रो कजरा
                         बड़रो गजरा गर भ्राजत है |
'विशवेश्वर' नंदलला अँगना
                      मुख माखन चाखन राजत है ||


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