श्रेष्ठ सुविचार और श्रेष्ठ कार्य

🙏06.12.19 आज का वेदमंत्र,अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा,प्रचारित आर्य जीतेन्द्र भाटिया द्वारा🙏🌻


स्वाध्यो दिव आ सप्त यह्वी रायो दुरो व्यृतज्ञा अजानन्।
विदद्गव्यं सरमा दृळ्हमूर्वं येना नु कं मानुषी भोजते विट्॥ ऋग्वेद १-७२-८।।🙏🌻


श्रेष्ठ विचारों और श्रेष्ठ कार्यों के जिज्ञासु के लिए ज्ञान के स्रोतों से सात ज्ञान की धाराएं (दो आंखें, दो कान, नाक, त्वचा और मुंह) बह रही हैं। उसे इनसे ज्ञान प्राप्त कर दिव्य सत्य के मार्ग को जानना चाहिए और जानवरों, पेड़ों और जीवो के लिए अच्छा करना चाहिए। उसे अपने मन बुद्धि और इंद्रियों को शुद्ध करना चाहिए। उसे लोगों के दुखों को दूर करना चाहिए। उसे अपनी अर्जित विद्या द्वारा समाज में शांति और समृद्धि  के प्रयास करने चाहिए।🙏🌻


For the seeker of noble thoughts and actions, seven channels of knowledge (two eyes, nose, two ear, skin and mouth) are flowing. He should know the path of divine truth and do good for animals, trees and human beings. He should enlighten and purify his mind and senses. He should eliminate the sufferings of the people and bring peace and comfort to the people with the acquired knowledge. (Rig Veda 1-72-8)🙏🌻 #vedgsawana🙏🌻


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