श्री कृष्ण चोर या महापुरुष



श्री कृष्ण चोर या महापुरुष




             कृष्ण जन्माष्टमी आते ही योगिराज श्री कृष्ण की मान मर्यादा को तार तार करने का सिलसिला प्रारम्भ हो जाता है, सोशल मिडिया को महापुरुषों के लिए शोषण मिडिया बनाकर रख दिया है।


            महापुरुषों की या हिन्दू देवी देवताओं के किसी की भी जयंती आने वाली हो सोशल मिडिया पर ऐसे संदेशों की बहार आ जाती है जिसमें उन पर कई गन्दी और बेहूदा मजाक बनाई होती है।


          जन्माष्टमी पर कृष्ण को लेकर एक संदेश बहुत चल रहा है।


           कोई ऐसा गुनाह नहीं जो उन्होंने नहीं किया हो….
1. जेल में जन्म
2. माँ-बाप की हेरा-फेरी
3. बचपन में लड़कियों का चक्कर
4. नागदेवता को भी मार दिया
5. कंकर मार कर लडकियों को छेड़ना
6. 16108 लफड़ा
7. दो-दो बीवियां
8. अपने मामू का मर्डर
9. मथुरा से तड़ीपार
फिर भी भाई कभी पकडे नहीं गये
इसलिए तो उसे में भगवान मानता हूँ


        इस संदेश की जड़ वैसे तो कुलषित मनोवृत्ति का कोई असामाजिक तत्व है।
परन्तु ये सब बाते फैली है विष्णु पुराण आदि की वजह से, जिसमें हमारे पूर्वज योगिराज श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को बेहद घटिया बताया है।


        हम लोग इन अवैदिक झूठे ग्रन्थों को सही मान कर कृष्ण को इस तरह का समझ बैठते है और ऐसे घटिया बेहूदा संदेशों को मजाक समझकर आगे भेजते रहते है।


      श्री कृष्ण योगिराज थे और ये विचारणीय बात है की कोई योगिराज क्या धर्मपत्नी को छोड़कर अन्य औरतों के साथ सम्बन्ध रखेगा यहाँ यह बात भी झूठी है कि “नरकासुर की कैद से १६१०० स्त्रियाँ छुड़ाई गई थी जिन्हें संभवतः समाज स्वीकार नहीं कर रहा था, उन्हें पत्नी का सम्मानजनक दर्जा दिया, वे भोगी नहीं योगी थे”।


      श्री कृष्ण का ओहदा उस समय भी उच्च स्तर का था तो यदि ऐसी कोई घटना हुई की १६१०० स्त्रियों को छुड़ाया तो सम्भवतः कृष्ण जब लोगों को समझाते की ये स्त्रियाँ पवित्र है और जो विवाह योग्य है उनसे उचित व्यक्ति विवाह करे और जो छोटी है उन्हें अपनी बेटी बना उनका लालन पालन करें तो आमजन उनकी बात को समझकर उसे स्वीकार उन स्त्रियों को अपनाते।


      बाकी जो कपडे चुराना लडकियां छेड़ना जैसी असभ्य हरकतों का जो जिक्र है वह वाम मार्गियों द्वारा बनाये गए ग्रन्थ भागवत हरिवंश पुराण आदि की देन है श्री कृष्ण का जीवन चरित्र महाभारत में मिलता है उससे इतर बाद के लोगों और वाममार्गियों ने उनके बारे में झूठी बाते लिखकर हमारे इतिहास को बदलने की चेष्टा की है।


       परन्तु यह हम सनातनियों का दायित्व है की हम अपने महापुरुषों को जानकर, समझकर, उनके बारे में सत्य जीवन चरित्र पढ़कर गलतफहमियों को मिटाने का प्रयास करे।



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