श्री चन्द्रशेखर शास्त्री जी की अमृतवाणी
श्री चन्द्रशेखर शास्त्री जी की अमृतवाणी
1. जीने के लिए कोसिए मत, कमर कसिए।
2. घरवालों का सेह डॉक्टर की दवाओं से कही ज्यादा लाभदायक होता है।
3. कारोबार को आप चलाएँ, तो ही सुख है। कारोबार आपको चलाए, तब तो दुःख ही दुःख है।
4. जीवन सरल, तन सवल और मन विमल होना चाहिए।
5. उलझने की बजाय सुलझना सीखो, क्योंकि उलझना आसान है, सुलझना कठिन है।
6. दूसरों से तुलना करने वाला व्यक्ति सदा अशान्त रहता है।
7. हे मनुष्य! तुझे अपनी खोपड़ी पर इतना अभिमान है, लेकिन तुझसे जीवन की कितनी चीजें खो+पड़ी है, तुझे इसका आभास ही नहीं है।
8. दीप जलता नहीं अगर उसमें तेल नहीं होतामन में यदि मैल हो तो प्रभु से मेल नहीं होता।
9. किसी भी कार्य को करने से पहले उस पर खूब विचारकरो, लेकिन ऐसा न हो कि सारा जीवन सोचते ही रह जाओगे।
10. बच्चों के लिए धन बचाएँ, साथ ही साथ बच्चों को पाप, दुष्कर्म, कुसंग से भी बचाएँ।
11. घर में धन लाने के अनेक तरीके हो सकते है, परन्तु घर से धन के जाने के केवल तीन तरीके है - पहला-दान, दूसरा-भोग और तीसरा-नाश, जो न देता है, न भोग करता है, उसका धन नष्ट हो जाता है।
12. साधन से हीन व्यक्ति क्षम्य है, परन्तु साधना से हीन व्यक्ति क्षम्य नहीं है।
13. दूसरे के सुख को देख कर क्यों परेशान होता है ? भगवान तुझे भी देगा, क्यों इतना हैरान होता है?
14. तुम अपने छोटे से दुख को देख कर दुखी न हो, क्योंकि ऐसे भी लोग है जिनका दुख तुमसे भी ज्यादा है।