श्रद्धेय स्वामी श्रद्धानन्द जी का बलिदान

श्रद्धेय स्वामी श्रद्धानन्द जी का बलिदान


            पूर्व दिल्ली में अब्दुल रशीद नामक 'मोमिन' ने स्वामी जी की हत्या इसलिए कर दी थी कि पंजाब के एक गांव की,जिसके सारे राजपूतों ने इस्लाम ग्रहण कर लिया था, की पुनः हिन्दू/आर्य धर्म मे घर_वापसी करा दी थी ! एक अनुमान के अनुसार स्वामी श्रद्धानंद और उनकी टीम ने सवा लाख से ज़्यादा मुस्लिम और ईसाइयों को हिन्दुधर्म में पुनः वापस लाने में सफलता प्राप्त की थी ! उनके इस विशद कार्य से मुस्लिम के साथ साथ मोहनदास गांधी और कांग्रेसी भी बहुत नाराज थे ! हालांकि स्वामी श्रद्धानंद खुद कांग्रेस से जुड़े थे ! उनकी हत्या भी उसी प्रकार की गई,जैसे अभी कमलेश तिवारी की धोखे से की गई !
            गांधी ने स्वामी श्रद्धानंद जी के हत्यारे रशीद का पक्ष लिया ,उनकी हत्या को यह कहकर जस्टिफाई किया कि घरवापसी जैसी योजनाओं से देश का माहौल खराब होता है ! गुवाहाटी कांग्रेस सम्मेलन में रशीद को अपना भाई और निर्दोष बताया ! गांधी ने रशीद की फांसी का विरोध भी किया ... जिन्ना रशीद के वकील बने !
            बरेली स्वामी श्रद्धानंद जी की कर्मस्थली रही... शिक्षा भी यहाँ ग्रहण की ! श्रद्धानंद जी की स्वामी दयानंद जी सर्वप्रथम भेंट भी आर्यसमाज बिहारीपुर,बरेली में हुई थी ! श्रद्धानंद जी का भारत भ्रमण, गांधी से भी कहीं ज़्यादा रहा था... उनकी जन्मस्थली जालंधर थी,जहां उन्होंने भारतीय हिन्दू शुद्धि महासभा की स्थापना की ... 1902 में हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की... जो हिंदुत्व/आर्य/सनातन प्रचार प्रसार के लिए स्थापित किया गया था ! बहुत कम लोग जानते होंगे कि उन्होंने अपनी जालंधर,बरेली और दिल्ली की पैतृक संपत्ति तक हिन्दू/आर्य हितों के लिए दान की दी थीं ! आज पूरी दुनिया मे फैले DAV शैक्षिक संस्थानों के उत्कर्ष में उनका बहुत बड़ा योगदान है ! हरिद्वार की शैक्षिक पहचान आज भी गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से ही होती है ! अब तो अधिकांश आर्यसमाज मंदिर निष्क्रिय अवस्था में हैं... लेकिन उस समय सैकड़ों आर्यसमाज मंदिरों की स्थापना और उससे जुड़े राष्ट्रीय और हिन्दू/आर्य संस्कृति हेतु कार्यक्रमों की रूपरेखा स्वामी श्रद्धानंद की देन हैं ! 
             स्वामी दयानन्द के हर अनुयायी की तरह कि जाति-पाति... ऊंच-नीच ही हिन्दू धर्म का कोढ़ है... कैंसर है, इस पर उनका पूर्ण फोकस था ! जहां वह उच्च जाति के धर्म परिवर्तित हिंदुओं को हिन्दू धर्म मे वापस लाये... वहीं तथाकथित निम्न वर्ग की जातियों में उन्होंने घरवापसी की आंधी चला दी थी ! वर्तमान में उनके इसी कार्य को स्वामी लक्ष्मणानंद जी ने आगे बढ़ाया था... उनकी कंधमाल में हत्या... ईसाई मिशनरियों और जेहादी तत्वों ने मिलकर करा दी थी !
            कुछ चीज़ें ऐसी हैं ,जिससे मैं कभी सहमत नहीं हुआ... जैसे उनका दिल्ली की जामा मस्जिद में मुस्लिमों के बीच बैठकर प्रवचन देना... उन्हें भारतीय राष्ट्रवाद की ओर प्रेरित करने का प्रयास ! इस्लाम एक बन्द मज़हबी व्यवस्था है,जहां कुरान और उनके रसूल के आचरण को ही मानने योग्य माना जाता है ! जामा मस्जिद में उनका प्रवचन भी उनकी हत्या के कारणों में से एक है... क्योकि मुस्लिमो का बड़ा वर्ग उन्हें अपना शत्रु पहले से ही मानता था !... स्वामी श्रद्धानन्द का कांग्रेस में जाना और गांधी का अनुयायी बनना भी एक बड़ी चूक रही ! उन्होंने गांधी के आदेश पर साम्प्रदायिक सद्भाव की ज्योति जलाने की कोशिश की... जिसकी कीमत पूरे देश और हिन्दू सनातन और आर्य ने... उनकी हत्या के रूप में अदा की !
           आज समय आ गया है कि हम अपने छुपा दिए गए नायकों की खोज करें उनका अध्ययन करें... उनके कार्यों और व्यवहार को अमल में लाएं ! स्वामी श्रद्धानन्द का योगदान हिन्दूसमाज को कभी नहीं भुलाना चाहिए था ! अस्तु...


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