शक्ति शब्द में है

शक्ति शब्द में है



(२) आवाज (शब्द-ध्वनि) की बड़ी शक्ति है, आवाज एक हथियार है प्रोपेगेण्डा का। मनुष्य प्रोपेगेण्डा नहीं करता उसकी आवाज करती है। धनी मनुष्य की आवाज निर्बल है-तो वह प्रोपेगेण्डा नहीं कर सकतानिर्धन की आवाज बलवती है-तो वह सफल हो जावेगा। ये जो नारे लगाते हैं-'अमुक जिन्दाबाद' और 'अमुक मुर्दाबाद' और 'अमुक कामयाब'--स्थान-स्थान पर मिलकर बड़े जोर से--जोश से जब बोला जाता है-तो यही आवाज स्वयमेव लोगों के दिलों में परिवर्तन करती रहती है। यह गुप्त हथियार है। यदि एक निर्बल पुरुषनिर्धन भी, जो यह समझे कि मेरी सुनाई नहीं होती-- तो वह एकान्त-स्थान (जंगल) में बड़े जोर के साथ बोलकर अकेला ही उस आवाज को फैला सकता है । यद्यपि समय लग जायेगा पर सफलता अवश्य होगी। उसके विचार, उसकी भावना वहां तक पहुंच जावेगी-- एक दिन जहां वह पहुंचना चाहता है।


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