सत्याग्रह

सत्याग्रह



      क्या कारण है कि दक्षिण देश हैदराबाद में यज्ञ कर्म पूजा आदि की निजाम सरकार ने मनाही कर रखी है और हमारी प्रार्थना अस्वीकृत हुई और सत्याग्रह आर्यों का प्रारम्भ हुआ ?


      इसमें प्रभु का कोई विशेष रहस्य है । मैं अब समझ रहा हूं कि आर्यजनता (आर्यसमाज) कर्मकाण्ड (भक्ति) से बहुत दूर-दूर रही। और वैदिक धर्म की ओर लोग कम झुकाव रखने लगे। वेद प्रभु की कल्याणी वाणी है जिसके पुनरुद्धार के लिए ऋषि दयानन्द महाराज को परमात्मा ने इस भारत देश में पैदा किया थाआर्यसमाजियों को यज्ञ और भक्ति में अरुचि होने से लोगों पर प्रभाव न पड़ता था। परमात्मा ने इसलिए इसको जीवित करने के लिए और आर्यसमाजों को जागृत करने के लिए यह लीला बरती । कर्म की दिशा दक्षिण को है-और उपासना भक्ति की उत्तर को। दक्षिण दिशा का अधिपति इन्द्र है जो छेड़ी चालवाला है। जिसका मन-दिल तिरश्चिराजी जिसे वेद में कहा गया है । भारत के दक्षिण देश में निजाम का राज्य है-और वह छेड़ी चाल चल रहा है । जहां की ६० प्रतिशत जनता आर्य-हिन्दू जाति है उनको यज्ञ करने और मन्दिर बनाने, पूजा करने, सत्संग कराने, उपदेश, भजन प्रादि की मनाही कर दी है। यही कर्म है। और इधर प्रभु ने आर्यनेताओं और आर्यजनता में प्रेरणा कर दी कि वे एक उद्देश्य और मुख्य उद्देश्य अब समझ लेवें। समस्त भारत के आर्य हिन्दुओं का ध्यान दक्षिण देश की अोरयज्ञ करने-कराने और इसके लिये स्वतन्त्र अधिकार दिलाने की ओर होगया है। और वह भी सत्याग्रह के हथियार से । जैसे तिरश्चिराजी रक्षिता पितर हैं और उनका वाण उपदेश है । अब आर्यजगत् की सारी एकआवाज है । और तन-मन-धन से बलिदान कर रहा है कि हम मर जायेंगे-या यज्ञ घर-घर में कराकर पायेंगे। भाव यह कि दक्षिण देश जो कर्म का है, उससे ही अब पूरा यज्ञकर्म का प्रारम्भ होगा। और पश्चिम फैलता हा उत्तर की ओर पहुंकेगा। तब भक्ति-पजाउपासना की ओर भी आर्यों की रुचि होगी (विद्वान्) संन्यासी-महात्मा ही इस युद्ध के नेताको हएँ हैं।


      २-देश के स्वराज्य के लिए जो । आरम्भ हुआ था वह भी वर्धा से हमा के लिए जो सत्याग्रह युद्ध वर्धा से हुआ था जो पंजाब, उ० प्र० से दक्षिण में है। और यह धर्म-युद्ध उससे भी दक्षिण में है। अर्थात् दक्षिण से ही आरम्भ हुआ। अत: यह चिह्न है कि अवश्य प्रभु इसे विजय प्राप्त करायेंगे। यज्ञ का युग समस्त आर्यजगत् में आरम्भ हो जाएगा। आर्य लोग कर्मकाण्डी बन जायेंगे और लोगों में वैदिक-धर्म की ओर रुचि सहल हो जावेगी।


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