सरफरोशी की तमन्ना

सरफरोशी की तमन्ना


हम अमन चाहते हैं अगर  जुल्म के खिलाफ फैसला गर जंग से होगा, तो जंग ही सही।


सरफरोशी की तमन्ना
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है?


वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ!
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है?


रहबरे-राहे-मुहब्बत! रह न जाना राह में,
लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है।


खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है।


अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़,
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-'बिस्मिल' में है ।


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