संसार में लोग सच्चाई को ढूँढते हैं

स्वामी विवेकानंद परिव्राजक


             संसार में लोग सच्चाई को ढूँढते हैं, अच्छाई को ढूंढते हैं। पर अधिकतर लोगों को संसार में न तो सच्चाई मिलती है, और न ही अच्छाई दिखाई देती है। दिखे कैसे? संसार तो वैसा ही दिखता है, जैसा आपका दृष्टिकोण होता है। एक कहावत प्रसिद्ध है। जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि। अर्थात जैसा आपका दृष्टिकोण होगा, संसार भी आपको वैसा ही दिखेगा। 
          जो लोग सच्चे हैं, अच्छे हैं, उनको दूसरों में सच्चाई और अच्छाई दिखती है। जो लोग स्वयं भ्रष्ट हैं, दुष्ट आचरण करते हैं, उनकी दृष्टि भी वैसी ही होती है। और उनको सब जगह पर झूठ और बुराई ही दिखती है।


           इसलिए जो लोग संसार में सच्चाई और अच्छाई को ढूंढते हैं, उनको संसार में सच्चाई तथा अच्छाई मिल  सकती है। परंतु शर्त यह है कि पहले उन्हें स्वयं सच्चा और अच्छा बनना होगा। 
           जब वे स्वयं सच्चे और अच्छे बन जाएंगे, तब उन्हें संसार में भी सच्चे और अच्छे लोग दिखाई देंगे। इसलिए पहले स्वयं सच्चे और अच्छे बनें, फिर आपको संसार से शिकायत नहीं रहेगी, कि संसार में सच्चाई तथा अच्छाई  समाप्त हो गई है. 


स्वामी विवेकानंद परिव्राजक


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