संघ में शक्ति है

संघ में शक्ति है



      जाति वही उन्नति कर सकती है-जिसका पग एक  होकर बढ़े। हाथ एक होकर उठे, और वाणी से शन एक होकर निकले । ये दोनों काम तभी हो सकते हैंजब जाति का हृदय (उद्देश्य) एक हो । तथा विचार (ज्ञान) एक हो । दूसरे शब्दों में चाल बोल के अधीन हो-और बोल उद्देश्य (लक्ष्य) के अनुसार हो। और उद्देश्य विचारपूर्वक ज्ञान के अधीन हो। जिस जाति के लोगों के भाग्य अभी नहीं जागे-उनका चिह्न यही है कि उनका पग नहीं मिलेगाकिसी का कहीं और किसी का पीछे उठेगा । आहुति कोई स्वाहा से पहले डालेगा और कोई पीछे तथा बोलने में कोई आगे निकल जाएगा, और कोई पीछे रह जाएगा। कोई मन्त्र उच्चारण करें एक समान आवाज नहीं आएगी। मन में एक भाव नहीं होगा। जातियों की उन्नति का रहस्य वेद भगवान् ने कहा है-“ओ३म् संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्" । इससे छः वस्तुएं मिलती हैं-(१) स्वतन्त्रता, (२)प्रसन्नता, (३)सम्पदा, (४) शासन, (५) ज्ञान और (६) साहस । जो जातियां विखलित हैं संगठनहीन हैं-उनका बोल और चाल, उद्देश्य और ज्ञान कभी एक जैसा नहीं हो सकता और न उनको ये छः वस्तुएं प्राप्त हो सकती हैं।


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