संध्या में वाक आदि दो बार क्यों ?

संध्या में वाक आदि दो बार क्यों ?



      संध्या में वाक्, प्राण, चक्षु, श्रोत्र—दो-दो बार हैं और नाभि, हृदय, कण्ठ, शिर:-एक एक वार हैं । और भी कारण हैं -- पर एक कारण यह भी है कि वाणी, नासिका, चक्षु, कान में दो प्रकार के दोष होते हैं एक शारीरिक दूसरा आध्यात्मिक और नाभि, हृदय, कण्ठ, शिरः में एक प्रकार का ही रोग होता है। अतः ये दो दो बार, और वे एक बार आये हैं।


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