सांसारिक व्यवहार के सूत्र
सांसारिक व्यवहार के सूत्र
1. इतने नर्म मत बनों कि लोग तुम्हें खा जाये! इतने गर्म मत बनों कि लोग तुम्हें छू भी न सके।
2. इतने सरल भी मत बनों के लोग तुम्हें मूर्ख बना दें। इतने जटिल भी मत बनों कि लोगों से तुम मिल न सको।
3. इतने गंभीर भी मत बनों कि लोग तुमसे ऊब जायें। इतने चंचल भी मत बनों कि लोग तुम्हें माने ही नहीं।
4. इतने महंगे भी मत बनो कि लोग तुम्हें बुला न सकें। इतने सस्ते भी मत बनों कि लोग तुम्हें नचाते रहे।
गम सहकर भी मुस्कुराओ दुनियाँ में,
यहाँ बुज़दिलों की गुजर नहीं होती।
हँसना भी जरूरी है जीने के लिए,
रोकर जिन्दगी बसर नहीं होती।।
वो चमन खाक में मिल जाया करते हैं,
जहाँ बागवां की पाक नज़र नहीं होती।
अब भी वक्त है संभल ऐ नौजवां,
जवानी उप्र भर नहीं होती।।