नागरिकता संशोधन विधेयक का अनावश्यक विरोध
नागरिकता संशोधन विधेयक का अनावश्यक विरोध
दिनांक 11दिसम्बर 2019 का दिन संसदीय इतिहास में इस बात के लिये याद किया जाएगा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को पास करके लाखों लोग जो अवैध शरणार्थी के रूप में भारत में नरक से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर थे,उन्हें नागरिकता का अधिकार देकर उनके जीवन में खुशियों की सौगात ला दी।
ये वो अभागे लोग थे जो अपना सबकुछ मतान्ध कट्टरपंथियों के हाथों लुटा चुके थे और इस देश में इस आशा के साथ आये थे कि यहां पर उन्हें सम्मान पूर्वक जीने का अवसर प्राप्त होगा ।पर दुर्भाग्य उनकी करुण कथा से सत्ताधारियों के दिल नहीं पसीजे क्योंकि वे हिन्दू धर्मावलंबी थे, और यहां के शासक धर्म निरपेक्षता में विश्वास रखते थे ।
अब जबकि नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो चुका है तो वे नेता या पार्टियां जो धर्म निरपेक्षता की दुहाई देते थे , वे इसका विरोध करने के लिए कमर कस चुकी हैं तथा इस विधेयक के बारे में गलत जानकारी देकर एक वर्ग विशेष को भड़काने की कोशिश की जा रही है जिससे कि देश में सांप्रदायिक दंगे कराये जा सकें तथा उस आधार पर इस कानून को लागू करने से रोका जा सके।
इनका सबसे बड़ा आरोप यह है कि यह कानून संविधान विरोधी है, पर कैसे संविधान विरोधी है,यह कभी नहीं बताते।इनके तर्क के अनुसार तो आतंकवादी कसाब और उसको पकड़ने वाला शहीद पुलिस अधिकारी तुकाराम के साथ समान व्यवहार होना चाहिए ।क्योंकि दोनों विभिन्न धर्मों के मानने वाले थे और संविधान दोनों को ही समान अधिकार देता है l
यदि मान भी लिया जाए कि यह कानून संविधान विरोधी है तो इसका निराकरण तो कोर्ट से हो सकता है,इसके लिये देश में विद्रोह फैलाने की क्या जरूरत है?उद्देश्य स्पष्ट है कि देश का वातावरण इतना खराब कर दिया जाये जिससे कि कोर्ट भी इनके पक्ष में निर्णय करने को विवश हो जाये। दूसरा आरोप यह है कि नागरिकता कानून में बदलाव किया गया है जिससे एक वर्ग विशेष को नागरिकता से वंचित किया जा सके।यह आरोप बिल्कुल निराधार है।नागरिकता कानून ज्यों का त्यों है।जो संशोधन हुआ है वह केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से आनेवाले शरणार्थियों से सम्बंधित है। साथ ही इस कानून का विरोध करने वाले एन आर सी की बात इससे जोड़ कर तनाव का वातावरण पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं ।जब कि दोनों विषय पृथक पृथक हैं l ऐसा प्रतीत होता है इस विधेयक का विरोध करने वाले नेताओं को तथ्यों से कुछ लेना-देना नहीं है ।वे केवल झूठे आरोप लगाकर तथा एक वर्ग विशेष को भड़का कर इस कानून को लागू होने से रोकना चाहते हैं ।संभवतः वोटों का लालच भी उन्हें ऐसा कुछ करने के लिए प्रेरित कर रहा है ।इसी लालच ने ममता बनर्जी को पागल बना दिया ।वहां वे एक वर्ग विशेष को भड़का कर हिंसा का तांडव करा रही है।शायद वे भूल चुकी हैं कि उनका संवैधानिक उत्तरदायित्व हिंसा रोकने का है,फैलाने का नहीं ।समझ में नहीं आता मोदी सरकार उनके सामने विवश क्यों है? पर हम तो विवश नहीं हैं।
आओ! सभी राष्ट्र भक्त साथियों का आह्वान है कि दिनांक 21 दिसम्बर 2019,दिन शनिवार को जन्तर मन्तर पर समय 11बजे बडी संख्या में पहुंच कर नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करें ।
ऐसे ऐतिहासिक क्षणों में चुप रहने का अभिप्राय होगा कि हम अपने विनाश का रास्ता स्वयं चुन रहे हैं ।राष्ट्र निर्माण पार्टी आर्यसमाज के सामाजिक संगठनों से मिलकर एक विशाल प्रदर्शन करेगी ।आप इसमे सादर आमंत्रित हैं ।
डॉ आनंद कुमार