रस में चस (रस में स्वाद)
रस में चस (रस में स्वाद)
जब किसी भाषण देनेवाले के भाषण में बड़ा रस होता है-न तो समय का पता लगता है, न लोगों की वृत्ति और कहीं जाती है अपितु उन्हें आवश्यक कार्य भी भूल जाते हैं। जब भाषण समाप्त होता है तो दो घण्टे गुजर जाने पर ऐसा प्रतीत होता है-“ओ हो जल्दी ही समाप्त होगया। पता ही नहीं लगा।" अर्थात् समय थोड़ा लगा प्रतीत होता है। परन्तु जब भाषण देनेवाले के भाषण में रस न आवे-तो थोड़ा समय भी बहुत प्रतीत होने लगता है। स्वयं वक्ता को भी ऐसा लगता है कि बोलते-बोलते बहुत समय होगया है। जब घड़ी देखता है-तो अभी १५ मिनट ही बीते होते हैं तो उसे भी बहुत पहाड़ मालूम होता है।
(१) वाज (अरबी शब्द) और वाज (संस्कृत शब्द) है। वाज का अर्थ है उपदेश । वाज का अर्थ है ज्ञान ।