प्रत्येक जीव की पुकार अपनी अपनी भाषा में

प्रत्येक जीव की पुकार अपनी अपनी भाषा में



      जितने पशु हैं वे सब पैदा होते ही जो बोली बोलते हैं या जो शब्द निकालते हैं-इससे वे अपनी मां को ही बुलाते हैं और वही शब्द अन्त तक उनके बोलने का रहता है । जैसे प्रत्येक मनुष्य का बच्चा अवी से पुकारता है, और वह अवां (अ ऊ म्) से अपनो मंगलमयी माता (परमात्मा) को जो उसकी गुप्त रीति से माता के गर्भ में पालना करती रही है-उसे ही पुकारता है। तथा जब बड़ा होता है-इस मां का ज्ञान होता है तब फिर मां अम्मा, पुकारने लगता है। परन्तु पशु तो इस अपनी ही मां को पुकारता हैबिल्ली का बच्चा 'म्याऊं-म्याऊं', बकरी का बच्चा, 'मैं-मैं' और भेड़ का 'बांई-बांई', गाय का 'बां-बां', कौए 'कां कां, कां' आदि-आदि । ये सब शब्द उनकी माता के सम्बोधन हैं । 


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