प्रत्येक धर्म-चिह्न से उसका दृष्टिकोण

प्रत्येक धर्म-चिह्न से उसका दृष्टिकोण



      प्रत्येक सम्प्रदाय (धर्म) अपना चिह्न रखता है। जिससे उसके अनुयायी पहचाने जाते हैं । मुसलमानों का चिह्न-मूत्रेन्द्रिय में खुतना करने का है, ईसाइयों का गले में सलेब (cross) का निशान है, और सिक्खों में हाथ में कड़े का चिह्न है तथा हिन्दू-आर्यों में सिर पर शिखा का चिह्न है ये चिह्न सम्प्रदाय (धर्म) के दृष्टिकोण को भी प्रकट करते हैं । शिखा (चोटी) का चिह्न तो ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति को प्रकट करता है। मनुष्य का अन्तिम लक्ष्य ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति है । सिर ही ज्ञान का केन्द्र है । हाथ (कर) कर्म का साधन है-सिक्खों में कर्म (सेवा) को प्रधान माना गया है। वे ऐसा ही आचरण करते हैं। सब ईसाई वाले को गले में क्रास चिह्न को गले लगाते हैं। उनके पादरी यही प्रचार करते हैं। हजरत ईसा साहब का यही आदेश था-यही प्रेमोपासना है। मूत्रेन्द्रिय कहलाती है जो पैदा करनेवाली, सन्तानवर्धक है। उनका अभिप्राय भी सन्तान (प्रजा) को बढ़ाना है । मुसलमानों की प्रसन्नता इसी में है-कि उनके भाई बढ़ जावें । मुसलमान अधिक हो जावें। - - -


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