प्रभु-पुकार के बिना मनुष्य पशु-समान
प्रभु-पुकार के बिना मनुष्य पशु-समान
यह कहावत-कि “मनुष्य का बच्चा जब भी पैदा होता है-रोता आता है । वह रोता है-और लोग हंसते खुश होते हैं।" यह बात सही नहीं मनुष्य का बच्चा रोता नहीं आता-अपितु पुकारता आता है । रोने का तो चिह्न है-आंखों से अश्रु बहना । परन्तु उस समय नवजात शिशु को अश्रु नहीं आते । और रोना होता है दुःख में, दर्द में या प्रेम में। परन्तु ये दोनों स्थितियां इसमें नहीं होतीं। अपितु वह प्रभु को-अपने शब्दों में याद करता है, और पुकार करता है। इधर पशु का बच्चा न पुकारता है-न रोता-चिल्लाता है। इसीलिए जो मनुष्य प्रभु-दरबार में पुकार नहीं करता-वह पशु-समान है।