प्रातः उमंग

प्रातः का समय आया, मन में उमंग लाया।
खिला खिला लगता है, देखिये तो सारा चमन।


सूरज की लाली संग, खिले कलियों के रंग।
शीतल पवन बहे, पंछी चहकते गगन।


अंधेरा है दूर हुआ, दिन भरपूर हुआ।
चमकता सूरज है, चमकता है ये भवन।


प्रातःकाल उठकर , राधेश्याम उर धर,
माता पिता व गुरु को, रोज कीजिये जी नमन।


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