परमात्मा की देन नष्ट न करो

अपने को पहचानो?


परमात्मा की देन नष्ट न करो



स्वयं वाजिस्तन्वं कल्पयस्व


स्वयं यजस्व स्वयं जुषस्व ।


महिमा तेऽन्येन न सन्नशे


यजुर्वेद अ० २३ मन्त्र १५


      (१) बुद्धिमान् मनुष्य वह है जो परमात्मा की दी हुई वस्तु को नहीं खोता। जो विशेषता, गौरव, प्रतिष्ठापरमात्मदेव ने उसे दी है-उसे नष्ट नहीं करता । उसके साधन वेद स्वयं कहता है ।


      (२) पशु का बच्चा अपनी मां को नहीं पहचानताअपितु मां पहचानती है। परन्तु मानुष-शिशु मां को पहचानता है।


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