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मनुष्य जीवन बहुत कठिनाई से मिलता है। संसार में लाखों योनियाँ हैं। *उनमें से केवल एक ही विचित्र और विशिष्ट प्राणी मनुष्य है। जो अपने जीवन में न जाने कितनी अधिक उन्नति कर सकता है। कितना सुख भोग सकता है। संसार के सभी दुखों से छूट कर मोक्ष तक को प्राप्त कर सकता है।*
बहुत से लोग जीवन में उन्नति करने या सफलता प्राप्त करने के लिए तुक्के मारते रहते हैं। *कभी वे सोचते हैं, यह काम कर लो, फिर उसमें असफल हो जाते हैं। फिर सोचते हैं, अच्छा दूसरा करके देखता हूं, उसमें भी असफल हो जाते हैं, फिर कहते हैं, तीसरा करके देखता हूं।* इस तरह से वे एक के बाद एक कार्यों में असफल होते जाते हैं। और तुक्के मार मार कर अपना सारा जीवन नष्ट कर लेते हैं।
 जीवन केवल तुक्केे मारने के लिए नहीं है। जीवन योजनाबद्ध ढंग से काम करने और सफलता प्राप्त करने के लिए है। परंतु यह तभी संभव है जब आप योजनाबद्ध बहुत पुरुषार्थ करें। इसलिये व्यवस्थित पुरुषार्थ को अपने जीवन में अपनाएं। योजनाबद्ध कार्य करें। तुक्के मार मार कर अपना जीवन नष्ट न करें। -


स्वामी विवेकानंद परिव्राजक


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