निर्बल कौन
निर्बल कौन
जिन लोगों ने अपने आप को बड़ा मान लिया होता है वह सत्संगियों में भी मिलकर प्रभु-भजन गाने में शर्माते हैं। और यदि विवशता से बोलना भी पड़े तो बहुत ही धीमी आवाज से गाते हैं। यूं कहें कि उनमें जबान ऐसी है जैसे निर्धन आदमी धनी के सामने नहीं बोल सकता। ऐसे ही बड़े आदमी सचमुच उस प्रभु के सामने निर्धन से अधिक दर्जा नहीं रखते। किसी बड़े के सामने वही दिलेरी से बोल सकता है जिसमें शक्ति है, या बड़े का उससे प्यार प्रेम है। दूसरा जैसे रोगी भी जोर से नहीं गा सकता-क्योंकि वह अन्न भोजन न खाने से निर्बल होता है। ऐसे ही जिसे प्रभुभक्ति का भोजन नहीं मिलता, वह भी निर्बल रोगी होता है ।