मनुस्मृति में बलात्कारी को दंड विधान

*आर्य समाज*


*आर्य समाज मनुस्मृति*


*[ बलात्कारी को दंड का विधान]*



*पुमांसं दाहयेत पापं शयने तप्त आयसे।*
*अभ्याद्दयुश्च काष्ठानि तत्र दह्येत पापकृत्य।।*
अध्याय- ८ श्लोक- ३७२


अर्थात: अपनी स्त्री (पत्नी) को छोड़कर पराई स्त्री या वेश्यागमन करे उस पापी पुरुष को लोहे के पलंग को अग्नि से तपा पलंग को लाल कर उस पर सुलाकर लोगो को उस पुरुष पर लकड़ियां रख कर जिंदा ही अन्य पुरुषों के सामने भष्म कर देना चाहिए।
*#JusticeForPriyankaReddy*


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।