क्या हनुमान जी सचमुच पर्वत उठा लाये थे
एक बार पत्नी ने पति से कहा शाम को आते वक़्त सब्जी लेते आना शाम को पति को याद आया सब्जी ले जानी है। तो पति महोदय सब्जी लेने सब्जी मंडी चले गए वहां जाकर अनेक प्रकार की सब्जी देखि तो संदेह से भर गए क्या क्या लेकर चलू – देर बहुत हो रही थी तो जो जो सब्जी ठीक लगी सब भर के घर आ गए।
घर आते ही पत्नी ने कहा अरे वाह स्वामी ! आप तो पूरी सब्जी मंडी ही उठा लाये।
पति ने कहा देखो भाग्यवान ! जितना समझ आया जो ठीक लगा वो ले आया हु अब आपका काम देखो और मुझे तो बस चाय पिला दो सर्दी आज ज्यादा है।
ये कोई नया किस्सा नहीं हैआमतौर पर हम सभी के साथ होता है जब हमें कोई एक दो वास्तु लानी हो तो हम कभी कभी ज्यादा सामान ले आते हैं जिससे लगभग अपने सभी जानकार देखते ही एक संज्ञा दे देते हैं।
“आप तो आज पूरी सब्जी मंडी उठा लाये।”
“आज तो पूरी दूकान ही उठा कर ले आये”
“आज तो दूकान ही खोल लोगे क्या ?”
ये एक मानव निर्मित संज्ञा है। क्योंकि जब कोई एक वास्तु की अपेक्षा बहुत सी वस्तुए उठा लाते हैं। तो यही संज्ञा लगभग दी जाती है – आप सोचोगे इस विषय पर पोस्ट करने की क्या जरुरत थी ये तो हम सब जानते ही हैं। इसमें कौतुहल का विषय क्या था विषय इस पोस्ट का बड़ा ही सारगर्भित है।
देखिये रामायण में एक प्रसंग आता है की हनुमान जी को सुषेण वैद्य ने कहा की संजीवनी बूटी ले आओ हनुमान जी को बूटी तलाशने में संशय हुआ तो वो जो सम्बंधित बूटी अथवा जो भी संजीवनी जैसे बूटी लगी उसे ले आये तो ये प्रसंग को ऊपर दिए उदहारण से मिला कर देखिये और अब बताये
क्या अब भी आप यही कहोगे की हनुमान जी पर्वत उठा लाये।
जी नहीं क्योंकि जब हनुमान जी एक बूटी की जगह बहुत सी बूटियों का अम्बार ले आये तो वहां मौजूद सभी के मुख से अनायास ही निकल पड़ा
“हनुमान जी आप तो पूरा पर्वत ही उठा लाये”
तो ये था विषय और इसके बारे में भ्रान्ति बना दी गयी की हनुमान जी पर्वत उठा लाये।