किसी भी कर्म को तुच्छ (हेय) मत समझो

किसी भी कर्म को तुच्छ (हेय) मत समझो



      जैसे प्रत्येक बीज के बोने में तो देर थोड़ी लगती है, परन्तु उसके फल को काटने और संग्रह करने में बहत देर लगती है। आम की गुठली बोने में केवल कुछ मिनट लगेंगे, तो उसका फल तोड़ने, संग्रह करने में बहुत काल लगता है । ऐसे ही जो कर्म किया जाता है, यह बीज बोने के समान है। उसका फल कई गुना होकर मिलता है। इसलिए पर्याप्तकाल फल के प्रभाव में मनुष्य रहता है । इसलिये कभी कर्म को तुछ न समझा जाना चाहिए। एक बवासीर की बीमारी हो जाए तो बहुत काल पीछा नहीं छोड़ती। गुर्दे का दर्द पड़ जाए, पीलिया हो जाये, ज्वर हो जाये-एकदम नहीं दूर होते हैं। काफी समय पीछे लगे रहते-फल भुगवाते हैं।


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