कौन है सैंटा क्लॉस

कौन है सैंटा क्लॉस


           आज देश के निजी स्कूलों में जिनमें ईसाई मिशनरियों संस्था द्वारा संचालित  स्कूल भी बड़े तौर पर शामिल है धूमधाम से क्रिसमस  के 1 दिन पूर्व फेस्टिवल का आयोजन हुआ  आपके नन्ने मुन्ने बच्चों को सैंटा क्लॉस की पोशाक पहना कर खूब मनोरंजन मनोविनोद का पात्र बनाया गया होगा| लेकिन कौन है यह सैंटा क्लॉस?


          आपको आश्चर्य होगा 19वीं शताब्दी से पूर्व सैंटा को लेकर पश्चिमी जगत में उसकी रंग रूप पोशाक को लेकर कोई विचार ही अस्तित्व में नहीं था.... आज जो मोटा तगड़ा सफेद दाढ़ी लाल कोट पहने हुए सेंटा हमें दिखाई देता है यह अमेरिकी कार्टूनिस्ट थॉमस नष्ट की दिमाग की उपज है | हमारे बच्चों के दिमाग में सैंटा क्लॉस को कूट कूट भर दिया गया है आज बच्चे होली दीपावली जैसे पर्व की पूर्व संध्या पर इतने  रोमांचित नहीं  होते जितने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सैंटा द्वारा दिए जाने वाले उपहारों को लेकर तरह-तरह की उधेड़बुन उनके दिमाग में चलती है   बच्चे सेंटा  अपनी फरमाइश का पत्र  लिखते हैं जिनका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं होता|


         अपने देश में यह समृद्ध परंपरा रही है 12 वर्ष की उम्र तक बच्चों को महंगे /सस्ते उपहार ना दें.. यहां उपहार के रूप में उत्तम गुण  अनुशासन लोक व्यवहार की शिक्षा बच्चों को दी जाती थी... चारित्रिक शिक्षा ही सबसे बड़ा उपहार है |


         सेंटा एक काल्पनिक ईसाई कथाओं का इसाई जगत का पात्र है जिसे यूनानी परंपरा से ईसाइयों ने स्वीकार किया है| अमेरिका ब्रिटेन जैसे देशों में सैंटा की छवि को व्यापारिक शक्तियों ने भुनाया है वही आज भारत में हो रहा है सेंटा की कॉस्ट्यूम उपहारों को लेकर बाजार वादी शक्तियां मध्यम निम्न वर्ग को स्कूलों  से मिलकर  शिकार बना रही है |


        अपने बच्चों को सैंटा वेंटा के फितूर से बचाइए और अपने इस आर्यावर्त देश की वैदिक संस्कृति से परिचित कराकर सनातन वेद की ओर लौटने के लिए प्रेरित कीजिए।


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