करता क्यों अभिमान
धन दौलत और रूप का , करता क्यों अभिमान
शोखी सारी पास रख , थोड़ा कुछ कर दान
मैं का अहम छोड़ ज़रा , दुनिया में सदा रह ,
झुक झुकती ज्यों फल डाल , मिले तुझे हर मान ।
बड़ों की छत्रछाया मिले , अभिमान करें झूम
संस्कारी सभी बनें , मचे प्यार की धूम
बच्चों पर है अभिमान , मर्यादा में रहे ,
समता एकता से ही , मचे प्यार की धूम ।