कैसे बनायें आदर्श परिवार, जिससे रुके सामाजिक दुर्व्यवहार
कैसे बनाएं आदर्श परिवार
कैसे बनाएं आदर्श परिवार
*जिससे रुकें सामाजिक दुर्व्यवहार*
आज के इस चकाचौंध भरे व्यस्त जीवन में इंसान अपना वजूद भूल गया है।
पशुता पूर्णरूपेण हावी हो चुकी है।
कौन माँ कौन बहिन कौन भाई कौन पिता किसी का कोई अता पता नहीं।
मात्र एक ही दृष्टि बाइक पर बैठे भाई बहिन भी एज प्रेमी प्रेमिका के जोड़े के रूप में नजर आने लगते हैं।
कहाँ गया वह प्राचीन भारत कहाँ खो गयी वह वैदिक संस्कृति
क्या कभी विचार किया है जब भी कोई हमारी बहिन बेटी पर अत्याचार होता है तब सभी एक साथ शोर मचाते हैं किसी भी समस्या का समाधान शोर नहीं वह छिपा हुआ पश्चिमी चोर है जो दिन ब दिन चोरी में वृद्धि कर रहा है।
आखिर कौन जिम्मेवार है इन बढ़ती लूटपाट हत्या चोरी अनाचार व्यभिचार बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों का,
समाधान सबके पास है पर चोर इतनी शालीनता उदारता से लूट रहा है कि पता लगना भी मुश्किल।
और पता लग भी रहा है तो उसकी गिरफ्त में कहीं न कहीं हम सब फंसे हैं।
इसलिए विचारिये और स्वयं पुलिस बन स्वयं को पकड़िए
बच्चों के सामने प्रेमपूर्वक व्यवहार करते हुए अपने आदर्श द्वारा दीजिये वह महान वैदिक संस्कार जिनको हमारे महान पुरुष सन्त महात्मा गुरुजन विद्वान अनुकरण करते आये हैं।
जब तक भोजन भजन भूषा भक्ति भावना भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत नहीं होगी तब तक अपराध बढ़ते ही रहेंगे।
आवश्यकता है-
पारिवारिक सामूहिक भोजन, सामूहिक भजन, सामूहिक वार्ता- यथा-क्या उचित क्या अनुचित किसी भी विषय सम्बन्धी यदि अपने बच्चों के साथ शेयर-वितरण करें तो किसी भी समस्या का समाधान सरलता से हो सकता है।
-आचार्या विमलेश बंसल आर्या
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