कच्चेपन से पतन

कच्चेपन से पतन



      (१) स्त्रियां कान की कच्ची हैं-और पुरुष वाणी के कच्चे हैं, नवयुवक आंख के कच्चे हैं और बच्चे पेट के कच्चे हैं । अर्थात् स्त्री जाति देवी है । बड़ी भोली भाली है, जैसे किसी ने सुना दिया-उसकी हो रहीं। एक आया, उसने कुछ कहा तो वैसा सुनकर उनकी बन गई । दूसरा आया तो उसने सुनाया उसकी बन गईपुरुष में यह रोग है वचन पर दृढ़ नहीं रहता । कभी कुछ कहा-कभी कुछ । नवयुवक ने एक सुन्दर रूप को आंख से देखा-उस पर मोहित हो गया। कल दूसरी देखी उस पर मोहित होगया । बच्चे बात टिका नहीं सकते। पर जब कोई मनुष्य पेट का भी कच्चा हो, आंख का, वाणी का और कान का भी कच्चा हो, उसका ठिकाना नहीं। सिवाय सब जगह मार पड़ने के और क्या पाएगा ? ये सब ज्ञानेन्द्रियां हैं, ज्ञान के कच्चे रह जाने से मनुष्य अविश्वसनीय. निश्चयहीन और सदाचार-रहित होना अरि जो लोग कलम के कच्चे हैं इससे समा नाश करते हैं । उधार दिया-लिख न सका । लिया पढ़ा न गया।


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