जीवन यात्रा में हर समय सावधान
जीवन यात्रा में हर समय सावधान
बड़े नगरों में सड़कों के साथ फुटपाथ (Foot Path) बने हुए होते हैं। सड़क पर परिवहन (Trafic) का बड़ा दबाव होता है। जो व्यक्ति सरकार के बनाए विधान के अनुसार फुटपाथ पर चलता है उसे बड़ी निश्चिन्तता रहती है । सैकड़ों गाड़ी और मोटरें गुजरती रहें-उसे प्रांच नहीं पहुंचती । परन्तु जो व्यक्ति फुटपाथ छोड़कर सड़क पर चलता है, उसका जीवन संकट में रहता है। उसे अपनी रक्षा स्वयं बड़ी सावधानी से करनी पड़ती है। पांव सड़क (भूमि) पर और आंखें मोटर, गाड़ी या लारी की ओर रहती हैं। तब वह अपने लक्ष्य-स्थान पर पहुंच सकता है। ऐसे ही यह संसार है, और इसमें विषय-वासनाओं का परिवहन (Trafic ) बड़े वेग से चल रहा है। आगे और पीछे दोनों ओर, एक के बाद दूसरी लहर चल रही है । जैसे एक मोटर के पीछे दूसरी मोटर और साइकल दौड़ रही है। जो व्यक्ति विषय-वासनाओं के चक्कर में नहीं आता, और किनारे पर एकचित्त होकर चल रहा है, उसे तो विषय-वासनाओं की जांच ही नहीं पहुंचती । एवं जो इस चक्र में से गुजरता है तो उसे बड़ी सावधानी की आवश्यकता है। परिवहन के संकट से तो मनुष्य प्रायः बचा भी रहता है-पर विषय-वासनाओं के परिवहन से कोई विरला ही बच सकता है । नहीं तो सब कुचले जाते हैं।