जीवन ज्योति अन्दर

जीवन ज्योति अन्दर



      मकान अन्दर से बन्द हो तो जाना जाता है कि अन्दर कोई प्राणी है और वह सर्वश्रेष्ठ प्रणी ही हो सकता है अन्य नहीं। क्योंकि पशु अन्दर से दरवाजा बन्द नहीं कर सकता । मनुष्य ही कर सकता है। यदि बाहर से बन्द हो तो यही प्रकट होता है कि अन्दर कोई नहीं मकान जीव से रहित है। ठीक ऐसे ही जिस मनुष्य के बाहर के पट बन्द हैं--अन्दर के नहींवह तो कन्जूस है। जीवित-जीवन का आदमी नहींतथा जिसके अन्दर के पट बन्द हैं अर्थात् संयम किया हुआ है, वह जीवित-जागृत मनुष्य है । संयम नहीं, तो पशुवत् है। 


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