जड़ पदार्थ किस रूप में प्रभु की पूजा करते हैं

जड़ पदार्थ किस रूप में प्रभु की पूजा करते हैं 



      प्रश्न-प्रार्थना में जो यह कहा जाता है कि "सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि, जल, वायु और सब वृक्ष, पर्वत और समुद्र प्रभो ! तेरी स्तुति कर रहे हैं, तेरी पूजा में लगे हुए हैं-विनीत भाव से तुझे पुकार रहे हैं।" क्या यह सत्य है ? इसका क्या अभिप्राय है ? जड़ वस्तुएं कैसे पूजा कर सकती हैं ?


      उत्तर-सब जड़-पदार्थ अपने गुणों द्वारा प्रभु की सत्ता को प्रकट कर रहे हैं। उनमें जो गुण हम देखते हैं-वे सब प्रभु के दिए हुए हैं। मनुष्य अपनी वाणी से स्तुति करता है शब्दों के रूप में और जड़-पदार्थ अपने समस्त आकार से प्रकट करते हैं अपने गुणके रूप मेंउनका विनीतभाव उनके स्वभाव का नमूना है, एवं उनका कर्म, जो कर्तव्य प्रभु ने उनका नियत किया हैवे बिना भू-चूक नियमित रूप में जो पालन हो रहा है, यही उनकी ओर से प्रभु-पूजा है। प्रभु की प्रजा के अर्पण उनका कर्म होना-यही प्रभु-पूजा है-क्रियात्मक रूप में । वह मनुष्य जो अपने पूज्य पिता-माता को झकता तो है परन्तु उनकी आज्ञा का पालन नहीं करता. वह अपने माता-पिता का पुजारी या भक्त नहीं कहला सकता। अपितु उनका शत्रु या वैरी होता हैऐसे ही ये सब वस्तुएं प्रभु की आज्ञा-पालन करने से उसकी पुजारी कहलाती हैं।


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