जामिया मिल्लिया संस्थान शिक्षा का या बवाल का..?

नागरिकता संशोधन बिल देश के दोनों सदनों में पास हो जाने के बाद देश में कोहराम मच गया है। असम और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। कई लेखक, कलाकार, कार्यकर्ता और कई संगठन इस बिल के खिलाफ आग में घी डालने का कार्य कर ही रहे थे कि अचानक देश की राजधानी दिल्ली भी हंगामे से अछूती नहीं रही। इस बिल के विरोध में जुम्मे की नमाज के बाद दिल्ली के जामिया मिलिया के छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया। बिल का विरोध करने निकले छात्रों ने जमकर पत्थरबाजी की जिसके बाद उन्हें भगाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठी चार्ज करनी पड़ी। हालाँकि ये बात समझ से परे है कि मुस्लिम बाहुल देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के मुस्लिमों को अपने देश की नागरिकता देने के लिए प्रदर्शन क्यों किया जा रहा है?


इस्लाम धर्म के मुताबिक जुमे के दिन को अल्लाह के दरबार में रहम का दिन माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नमाज पढ़ने से अल्लाह इंसान की पूरे हफ्ते की गलतियों को माफ कर देते हैं। तो वहीं जुम्मे के दिन को ईसाई बेहद अशुभ मानतें है क्योकि इस दिन शैतान की ताकत बढ़ जाती है। हालाँकि किसका क्या मानना है यह अपना नजरिया होता है। लेकिन इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि दिल्ली के जामिया मिलिया के छात्रों का उग्र प्रदर्शन राजनीति और मजहब से प्रेरित नहीं था। क्योंकि जुम्मे की नमाज के बाद जिस तरीके से देश भर में हिंसक प्रदर्शन किये गये उसे देखकर लगता है कि पूरा प्रदर्शन प्री प्लान था। क्योंकि गुरुवार की रात से ही प्रदर्शनकारी इकठ्ठा होने लगे थे। लेकिन देश की राजधानी में वो हिंसा पर उतर आयेंगे इसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। शुक्रवार को हजारों छात्र जामिया यूनिवर्सिटी के बाहर सड़क पर उतर आए और केंद्र सरकार और इस बिल के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी लेकिन थोड़ी ही देर में प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और पुलिस पर पत्थरबाजी करने लगे। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और छात्रों पर काबू पाने के लिए लाठियां भी भांजी। कुछ देर के लिए जामिया का इलाका युद्ध का मैदान बन गया।


सिर्फ दिल्ली ही नहीं नमाज के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हजारों उग्र मुस्लिम प्रदर्शनकारी अचानक बेलडांगा रेलवे स्टेशन के परिसर में आ घुसे और उन्होंने प्लेटफार्म, दो तीन मंजिले भवनों और रेलवे कार्यालयों में आग लगा दी वहाँ तैनात आरपीएफ कर्मियों के साथ मारपीट भी की, इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की जामा मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद नमाजियों ने केंद्र सरकार के विरोध में ब्।ठ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बैनर-पोस्टर भी लहराए।


कानपुर में मस्जिदों के बाहर नमाजियों ने जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने रूपम चैराहे से मोहम्मदी मस्जिद तलाक महल तक मार्च निकाला। काजी मौलाना रियाज हशमती के अगुवाई में विरोध जताया गया और जूही लाल कॉलोनी की मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया गया।


बरेली में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर शुक्रवार को मुसलमानों ने ऐलान किया था कि जुमे की नमाज के बाद नमाजी सड़कों पर उतरेंगे. मौलाना तौकीर रजा खां ने तमाम मस्जिदों के इमाम और नमाजियों से जुमा नमाज बाद नोमहला मस्जिद में इक्ट्ठा होकर प्रदर्शन किया गया, आगरा से लेकर फिरोजाबाद में काले झंडे और पोस्टर चस्पा कर विरोध जताया, बहराइच अंबेडकरनगर जिले में नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ बसखारी कस्बे में विरोध के लिए इकट्ठा हुए दो दर्जन युवाओं को पुलिस ने खदेड़ा, दौड़ाकर पकड़ा, तो वहीं बिहार की राजधानी पटना में भी नागरिकता कानून के खिलाफ लोगों का गुस्सा उबाल पर था।


जुम्मे की नमाज के बाद ऐसे हालत अभी तक सिर्फ कश्मीर में देखने को मिलते थे अब इस्लाम के नाम पर यह हालात देश भर में देखने को मिल रहे है किसके लिए? पाकिस्तान बांग्लादेश म्यांमार अफगनिस्तान से आये मुसलमानों के लिए या इस्लाम के लिए? यानि प्रदर्शनकारी चाहते है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस देश में मुसलमान आकर बस जाये और इन्हें हकुमत करने और शरियत लागू करने का मौका मिले।


आज जो प्रदर्शनकारी धर्मनिरपेक्षता का हवाला दे रहे है लोकतंत्र की दलील दे रहे है ये लोग कल तक तीन तलाक और शरियत कानून की मांग कर रहे थे तब न इनके लोकतन्त्र और भारतीय संविधान से बड़ा इस्लाम था। आज ये लोग देश को भारत के संविधान का आर्टिकल 14 पढ़ा रहे है। यह कहा जाता है कि इस्लाम के मूल चरित्र में कोई कट्टरता, असहिष्णुता और हिंसा नहीं है, यह सब विकृतियां हैं और दिग्भ्रमित लोगों द्वारा की गईं गलत व्याख्याएं हैं। परंतु सोचने की बात यह है कि यदि मूल विचार में हिंसा नहीं हो तो क्या केवल उसकी गलत व्याख्या के कारण ही जुम्मे के दिन विश्व भर में अपराध कौन कर रहा है.?


शुक्रवार को हुए देश भर के प्रदर्शनों पुलिस की सतर्कता के कारण कोई गम्भीर हादसा नहीं हुआ। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहाँ से खदेड़ दिया कुछ दिन बाद बात आई गयी हो जाएगी और कुछ दिन बाद लोग इस बात को भूल भी जायेंगे फिर गंगा जमुनी तहजीब का गीत गाया जायेगा लेकिन जैसे ही कोई दूसरा सुअवसर आएगा फिर ऐसे ही हिंसक प्रदर्शन देखने को मिलेंगे।


सभी को याद होगा अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कुछ समय पहले जिन्ना के चित्र को लेकर बवाल मचा था। आज नागरिकता को लेकर बवाल है। लेकिन सवाल ये है क्या ये सच में ये बवाल नागरिकता को लेकर है या एक कट्टरपंथी सोच का प्रतीक है जिसे एएमयू जामिया मिलिया का छात्र संघ कोई रास्ता निकालने के बजाय जिन्दा रखना चाहता है ताकि देश के मुस्लिम समुदाय को इस आधार पर उत्तेजित और एकत्रित किया जा सके।


अपने अपने पक्ष को सही मानकर उन पर अड़ जाना और उसे अहं का प्रतीक बना लेना किसी भी दशा में उचित नहीं कहा जा सकता. इस प्रकरण को कवर करने वाले पत्रकारों और फोटोग्राफरों को पीटा गया उनके कैमरे तोडने की कोशिश की गयी। हमलावर छात्र विश्वविद्यालय के थे या बाहरी ऐसा लगता है कि प्रसंग में खुली छूट दी जा रही है और प्रकरण को हवा दी जा रही है।


देश इन्तजार कर रहा है कि कोई सकारात्मक और कड़ा पग इस सन्दर्भ में उठाया जाए ताकि फिर कोई इसी तरह का नया विवाद उठा कर देश की शान्ति को भंग करने का प्रयास सम्भव न हो सके। इस सुलगती आग को एक बार तो बुझाना ही होगा वरना यह देश को लील जाएगी। इसके बाद बाकी क्या बचेगा, इसकी कल्पना ही भयावह है.


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