इस्लाम के दीपक का विमोचन

इस्लाम के दीपक का विमोचन


         इस्लाम के दीपक पुस्तक सर्वप्रथम उर्दू में "मसाबीहुल इस्लाम" के नाम से प्रकाशित ही थी। इसका कालांतर में हिंदी अनुवाद "इस्लाम के दीपक" के नाम से प्रकाशित हुआ था। इस पुस्तक के लेखक पंडित गंगा प्रसाद उपाध्याय हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी और संस्कृत भाषाओँ के प्रकांड पंडित थे। पंडित जी का प्रिय विषय दर्शन था। वैदिक दर्शनों में उनका लेखन आस्तिकवाद, अद्वैतवाद, फिलॉसफी ऑफ़ दयानन्द आदि पुस्तकों से लेकर सैकड़ों  लेखों के रूप में मिलता हैं। वहीं यह पुस्तक इस्लाम सम्बंधित दार्शनिक विषयों के चिंतन का परिणाम है। इस पुस्तक का प्रयोजन पंडित जी के शब्दों में पढ़िए-


         "उन आंदोलनों से है जो हज़रत मुहम्मद साहेब या क़ुरान शरीफ़ के द्वारा मानवी अन्धकार को दूर करने के लिए प्रस्तुत किये गये, इनमें वे कितने सफ़ल हुए, 
कितने अपूर्ण रहे और कितने सर्वथा असफ़ल रहे? इन पर मीमांसा करना।" 


         पंडित जी की पुस्तक की विशेषता यह है कि आपने इस पुस्तक के लेखन में इतनी मीठी भाषा का प्रयोग किया है कि इस्लाम को मानने वाले अनुयायी भी इस पुस्तक को पढ़ने के बाद उनकी प्रशंसा किये बिना न रह सकें। गंभीर से गंभीर विषय को इतने स्पष्ट और साधारण शब्दों में पंडित जी ने प्रकाशित किया है। 
         आर्यसमाज के अन्य इस्लाम की जानकारी रखने वाले विद्वान् स्वामी दयानन्द, पंडित लेखराम, स्वामी दर्शनानंद, पंडित रामचंद्र दहेलवी, पंडित कालीचरण, पंडित महेश प्रसाद मौलवी आलिम फाज़िल, पंडित डॉ श्रीराम आर्य, अमर स्वामी जी आदि का इस्लामिक विषयों की समीक्षा करने वाला साहित्य अप्रतिम है।  वैदिक सिद्धांतों को जानने के इच्छुक पाठकों को यह साहित्य अवश्य पढ़ना चाहिए। ईश्वर से प्रार्थना है कि हमें इतना सामर्थ्य दे कि यह साहित्य हम युवा पीढ़ी के लिए उपलब्ध करवा कर ऋषि ऋण से उऋण होना का प्रयास करें। 


      डॉ विवेक आर्य


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