ज्ञानविज्ञान का आदिमूल

ज्ञानविज्ञान का आदिमूल



     


सत्य विद्या और इससे ज्ञात पदार्थ विद्या का आदि मूल परमेश्वर है।


अणोरणीयान- अर्थात् सूक्ष्म से सूक्ष्मतम- भौतिक विज्ञान का,
महतो महीयान- अर्थात् महान से महानतम अन्तरिक्ष विज्ञान का,
यजन- अर्थात् त्यागन-लक्ष्यन-संगठन-प्रबन्धनशास्त्र का,
ऋत्विज- ऋत परिवर्तनों का ज्ञाता- परिवर्तन प्रबन्धन का,
शुद्धमपापविद्धम्- शून्यत्रुटिविधा का,
नाट्य- दशरूपकम्- पर्ट या परियोजना प्रबन्धन का,
अघमर्षण- सुधार व्यवस्था का,
इळस्पद- कार्य समूह या संगठन विज्ञान का,
तद्दूरे तद्वन्तिके- क्वांटम सिद्धान्त का,
एकत्वम्- चतुर्सूक्ष्म आयाम विज्ञान का,
ऋतजा- भूगोल विज्ञान का,
शृत्विज- नीति विज्ञान तथा संबंधित अपराधशास्त्र का,
पुरुष- समाजशास्त्र का,
सुखम् तथा स्वस्थ- आरोग्यशास्त्र या चिकित्साशास्त्र का,
पंचपरमेश्वर- पंचीकरण तथा श्रम विभाजन का,
ईशन- यत्नाभ्यास उद्योगशास्त्र का,
शान्ति- स्थैर्य एवं सन्तुलन- माप विज्ञान का तथा पर्यावरण का,
अग्निम्- गतिविज्ञान का, दुःखम्- बीमारी विज्ञान का,
ओ3म्- अध्यात्म विज्ञान का,
पुरोहितम् शिक्षाशास्त्र का,
रसम्- आयुर्वेद का,
रूपम्- कलाविज्ञान का,
शब्दम्- संगीत विज्ञान का,
प्राणम्- ऊर्जाविज्ञान का,
वाजम्- अन्न एवं खाद्यविज्ञान का,
अक्षर- अक्ष-र अ-क्षर दर्शनशास्त्रों का,
वाक्- भाषाशास्त्र का,
वर्च- प्रकाश गुरुत्वादि शक्ति वितान तथा विज्ञान का,
हिरण्यगर्भ- सूर्यविज्ञान का,
प्राज्ञ- खगोल गतिविज्ञान का,
वरुण- न्यायशास्त्र का,
अर्यमा- परीक्षाविज्ञान का,
अनादि- कार्यकारण विज्ञान का,
निराकार- वास्तुशास्त्र का,
उक्षा- कृषिविज्ञान का,
त्वष्टा- सुरक्षामय-सुरक्षादा- सुरक्षा अभियांत्रिकी का,
रथप्रा- आरोग्यशास्त्र का,
राति- स्तरीकरण या बेंचमार्किंग का,
अरपा- शून्यत्रुटिविधा का,
अमृत- सम्पूर्ण स्वास्थ्य का- स्वस्वास्थ्य संस्थान शक्ति का,
बलदा-आत्मदा- साधना विज्ञान का,
कः – सकारात्मक विज्ञान का- जिज्ञासात्मक उत्तरात्मक प्रणाली का,
शिवतर- गुणात्मक स्तरीकरण का,
सत्-चित्-आनन्द- त्रैत विज्ञान का,
मनीषी- मनोविज्ञान का, पुरुष- श्रमविभाजन का भी,
सप्तर्षि- ब्रडाब्रनि कडाकनि GIGO का और वेद- सत्ता ज्ञान लाभ विचार शास्त्र का आदिमूल है।


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।