गुणों का मूल्य

 


   संसार में बहुत से लोग पुरुषार्थ करते हैं। कुछ लोगों को यहीं इसी जीवन में अनेक पुरस्कार तथा धन सम्मान आदि मिल जाता है। परंतु बहुत लोगों को इस जीवन में कोई पुरस्कार सम्मान आदि नहीं मिलता। लोग उनके गुणों का मूल्य उनके जीवित रहते हुए नहीं समझ पाते। ऐसे लोग भी निराश न होवें। 
ईश्वर न्यायकारी है। वह तो सदा न्याय करता है और आगे भी करेगा।
       यदि किसी को इस जीवन में उसकी योग्यता के अनुसार उचित धन सम्मान आदि नहीं मिला, तो मृत्यु के पश्चात ईश्वर अगले जन्म में उसको न्याय पूर्वक उसके सब शुभ कर्मों का उत्तम फल अवश्य देगा। और संसार के लोग भी  उसकी मृत्यु के बाद उसके बहुत गीत गाएंगे। 
       संसार में ऐसी ही परंपरा देखी जाती है, कि जीते जी लोग किसी के गुणों का मूल्य ठीक से नहीं समझ पाते। उसकी मृत्यु के बाद जब उसकी कमी समाज को खटकती है, तब उसका सही मूल्य समझ में आता है। तब समाज के लोग उसे बहुत सम्मान आदि देते हैं। और उसके बहुत गीत गाते हैं। 
       परंतु तब यह इतना उपयोगी नहीं होता। अधिक अच्छा तो यही है कि *जीते जी व्यक्ति का उत्साह बढ़ाने के लिए समाज के लोग उसे सम्मानित करें, जिससे वह उत्साहित होकर देश धर्म की और अधिक सेवा कर सके।
 - स्वामी विवेकानंद परिव्राजक


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।