गृहस्थाश्रम की सफलता के उपाय (सन्तान-पालन)

गृहस्थाश्रम की सफलता के उपाय 


सन्तान-पालन


          बालक के जन्म के समय बालक और उसकी माता की सावधानी से रक्षा करनी चाहिये। शुण्ठीपाक और सौभाग्यशुण्ठीपाक प्रथम से ही तैयार रहना चाहिए। बालक और उसकी माता को सुगन्धियुक्त उष्ण जल से स्नान कराना भी उचित है। नाड़ी-छेदन यथा-विधि कराये। प्रसूति-गृह में सुगन्धादि युक्त घृत का होम करे। तत्पश्चात् बालक के कान में 'वेदोऽसि' – तेरा नाम वेद है सुनाकर, पिता मधु और घृत से बालक की जीभ पर 'ओ3म्' लिखे और शलाका से उसे चटा दे।


        पश्चात् बालक और उसकी माता को दूसरे शुद्ध स्थान पर बदल दें और वहाँ नित्य सायं-प्रातः सुगन्धित घी का हवन करें। बालक छह दिन तक माता का दूध पिये। छठे दिन स्त्री बाहर निकले। सन्तान के दूधादि के लिए यथावत् प्रबन्ध करें। समर्थ हो तो कोई धाय रख ली जाये। बालक के पालन-पोषण में कोई अनुचित व्यवहार न हो।


       पश्चात् नामकरणादि संस्कार ''संस्कार-विधि'' की रीति से यथाकाल करता जाये।


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