गृहस्थाश्रम की सफलता के उपाय (पुरुष के कर्त्तव्य)

गृहस्थाश्रम की सफलता के उपाय


पुरुष के कर्त्तव्य


        इस प्रकार स्त्री और पुरुष विधिपूर्वक गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए संसार में सुखपूर्वक रहें। पुरुष का कर्त्तव्य है कि सभी प्रकार से स्त्री को प्रसन्न रखे। जिस कुल में भार्या से भर्ता और पति से पत्नी अच्छे प्रकार प्रसन्न रहती है, उसी कुल में सौभाग्य और ऐश्वर्य निवास करते हैं। जिस घर में स्त्रियों का सत्कार होता है, उसमें पुरुष विद्यायुक्त होकर देव संज्ञा को प्राप्त होते हैं और आनन्द करते हैं। जहाँ स्त्रियों का सत्कार नहीं होता, वहाँ सारी क्रियायें निष्फल हो जाती हैं।


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