गप्त कर्म-गप्त फल

गप्त कर्म--गप्त फल



      परमात्मा की लीला अपार है। कई व्यक्तियों को सब कुछ प्राप्त है। शरीर भी सुन्दर है। परन्तु किसी एक अङ्ग के अधिक बना देने से-उदाहरणतः छियांगली,रसोलो, तिल, दांतों का बाहर होना आदि। वे अपने लिए-एक कुरूपता समझते हैं। यद्यपि उससे उनको पोड़ा, कष्ट, दुःख नहीं होता। परन्तु उन्हें एक दोष प्रतीत होता है। यह फल है किसी ऐसे गुप्त कर्म का जो शुभ कर्म करते हुए भावना में अन्तर आ जावे ।


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