एक वह बिल था, एक यह बिल हैं

            एक वह बिल था, एक यह बिल हैं

          "सांप्रदायिक हिंसा बिल" - कुछ याद भी हैं? 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले ही इस बिल को कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी। उस बिल के अनुसार भारत के किसी क्षेत्र में हुई हिंसा के लिए प्रथम दृष्टया बहुसंख्यकों (अर्थात हिंदुओं) को ही दोषी मान कर कार्यवाही करना तथा उनकी ही चल-अचल संपत्ति को बेच कर दंगे में हुई सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने सहित अनेक एसे बहुसंख्यक हिन्दू विरोधी प्रावधान स्पष्ट रूप से लिखे गए थे।


          इतने घोर हिंदु-विरोधी बिल लाए जाने पर भी कहीं भी इस  तरह का विरोध किसी भी हिन्दू समुदाय ने नहीं किया था, जैसा कि आज कुछ हरामी की औलादें "नागरिकता कानून" का हिंसात्मक विरोध करने पर उतारू हो गई हैं।


         वो तो सैभाग्यवश 2014 में कांग्रेस सरकार फिर ना लौट सकी, अन्यथा यह बिल आज यथार्थ रूप से देश में लागू होता। आज जो यह भीड़ हमें रस्तों पर नजर आ रही वह हमारे घर में नजर आती। तब उन्हें रोकने वाला कोई नहीं होता, क्योंकी उत्पात भी वे ही करते और दोषी भी हिन्दू ही ठहराए जाने तय थे।


        एक हिंदू-विरोधी बिल वह (communal violence bill) था और आज एक यह (citizen amendment bill) बिल हैं, जो कि किसी के  विरुद्ध न होते हुए भी एक तबका इस पर जम कर उत्पात मचा रहा है। मात्र इसलिए क्योंकि की यह सिमापार अन्याय झेल रहे हिन्दूओं के पक्ष में हैं।


             यह सोचने वाली बात हैं कि जब...


- कश्मीर से लाखों हिंदुओं को मार भगाया गया...
- हजारों सिखों का कत्लेआम किया गया...
- अमरनाथ यात्रा में सैकड़ों हिंदु मार दिए गए...
- सिरीयल ब्लास्ट से बड़े-बड़े शहरों को दहला कर सेकडो की बली ली गई...
- केरल-बंगाल में आए दिन हिंदु-विरोधी षडयंत्र व हत्याएं हो रही है...


            क्या कभी हमें इस तरह का विरोध सड़कों पर देखने को मिला?


           इससे यह कहना गलत नहीं होगा की भारत वह देश हैं जहां हिंदु बहुसंख्यक में होते हुए भी उनको कितना भी प्रताड़ित किया जाए, चाहे सिमा के पार या सिमा के भीतर, कभी कोई हंगामा खड़ा नहीं होगा। लेकिन जैसे ही बात दुसरे समुदाय की आएगी, फिर व चाहे किस्सा विश्व के किसी भी कौने में क्यों ना हो, भारत के सभी बुद्धिजीवी, मिडिया जगत, बालीवुड के भांड़ कलाकार और सेक्युलर नेता सब मिलकर भारत को जलाने के लिए लामबंद हो उठेंगे। 


         पाकिस्तान, बंगलादेश व अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में हिन्दू खत्म होने के कगार पर हैं और भारत में हिन्दू की संख्या ढलान पर हैं और जो बढ़ रहे हैं वह हैं सिर्फ जिहादी। आज अगर ना जागे, तो कल जागने की स्थिति ही नहीं होगी।


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