एक मुक्तक मेरा भी
अभिमान करना है तो उचित बात पर कर,
मिथ्याभाव माया मोह बुराई को तज कर,
अभिमान करना अनुचित नहीं है प्यारे,
देश धर्म और स्वाभिमान की रक्षार्थ कर ।
अभिमान करना है तो उचित बात पर कर,
मिथ्याभाव माया मोह बुराई को तज कर,
अभिमान करना अनुचित नहीं है प्यारे,
देश धर्म और स्वाभिमान की रक्षार्थ कर ।